जयपुर। दूसरों के सहारे अपना जीवन काटने वाले विमंदित बच्चे अब सेल्फ सस्टेन मॉडल की तरह खुद को पांवों पर खड़ा पाते हैं। दुनिया से अनजान इनकी दुनिया में अब रंग भरने लगा है।
जयपुर के जामडाेली स्थित सरकारी विमंदित गृह के ये बच्चे अब ब्लॉक प्रिंटिंग सीखने लगे हैं। वह दिन दूर नहीं जब इनके द्वारा तैयार डिजाइन्स की बिक्री बाजारों में होने लगेगी। यह सब होगा, किसी का सपना भी नहीं था, लेकिन इसे सच बनाया हैंडीक्राफ्ट हवेली के चेयरमैन अनिल खण्डेलवाल के साले रिम्मू ने। रिम्मू खण्डेलवाल ने न केवल उनके लिए यह सपना पैदा किया, बल्कि इसे सच भी किया। रिम्मू ने बताया कि उनका कुछ सालों से जामडोली के विमंदित गृह के बच्चों के साथ लगाव हो गया है। कई सुविधाएं मुहैया कराने के बाद उन्हें लगा कि कुछ क्रियेटिविटी के साथ सेल्फ सस्टेन भी बच्चों को बनाया जा सकता है। विमंदित बच्चों की आदतों के बीच से ही सबसे बेहतरीन काम उन्हें ब्लॉक प्रिंटिंग का लगा।
इसके लिए वे बगरू गए। वहां के कलाकारों से बात की। उन्हें इस काम की जरूरत बताई तो वे भी बहुत खुश हुए। बस जो ठान ही लिया था तो इसकी व्यवस्था जामडोली में कर डाली। इस काम में कितना पैसा लगा, क्या प्रयास लगे, यह महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण यह है कि विमंदित बच्चों के लिए यह कितनी खुशी लेकर आ सकता है।
रिम्मू ने बताया कि अब इतना तय है कि जो भी यहां आए, उसे यह केंद्र बेहद खूबसूरत जरूर दिखाई देगा। उन्होंने यह भी अपील की कि कोई भी व्यक्ति जो सक्षम हैं, साल में परिवार का कोई भी एक छोटा साथ आयोजन इन बच्चों के साथ अवश्य करें। उन्हें सबसे ज्यादा खुशी मिलेगी, जब देखेंगे न कि ये बच्चे उन्हें कितना प्यार देते हैं।